11.30.2012

mogali...

मोगली ......
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मोगली ......
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जब मोगली जंगल में था ,
तो उसे किसी से कोई डर नहीं था |
अब मोगली शहर में है ,
तो हर वक्त हर किसी से डरता है
वो हैरान है कि वो पूरे लिबास में है
पर लोग उसे इस तरह घूरते हैं कि जैसे वो नंगा हो ||
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हमसफ़र
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.... इधर हव्वा ने चाहा कि
आदम हमसफ़र हो तो इस तरह
जैसे दो नदियाँ सगम के बाद
घुलमिलकर बहती रहती हैं हैं अविभक्त ...|
उधर आदम ने चाहा कि हव्वा हमसफ़र हो तो पटरियों की तरह ,
जो साथ साथ चलती है मगर बनी रहती हैं अलग अलग |
दोनों में इतना रहे तालमेल कि गुज़र जाये गृहस्थी की रेल गाडी |
दोनों किसी फैसले पर पहुँचते,
इसके पहले ही मौका ताड़ शैतान ने दोनों की राहें अलग अलग कर दीं ||||


( चित्र : अमेरिकी नृत्य)

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