किसी गमले के गुलाम नहीं
बंधुआ नहीं किसी बागीचे के
गेंदा गुलाब जूही सेवंती
हम नहीं राग जै जैवन्ती
हम पगडंडियों के आज़ाद मुसाफिर हैं
हम फूल हैं भटकटैया के ....|
खिलाना होगा तो घूरे में खिल जायेंगे
उदासी का विलोम बन जायेंगे
. हम वसंत रचते हैं वीराने में
कोई फर्क नहीं पड़ता आने जाने में
फूलों में जाति बाहर हैं ..लेकिन कबीर के वंशज हैं
हम फूल हैं भटकटैया के ....|
देवता के मुकुट में ना
सोहेंगे
मुर्दों के गले लगकर ना रोयेंगे
किसी के तैलौंछ बालों को
ना सूघेंगे
धूल सने बच्चों के हाथों
में झूमेंगे ...
हर गति में अमर ...
और हर हाल में मलंग मस्त हैं
और हर हाल में मलंग मस्त हैं
हम फूल हैं भटकटैया के
....|
भू के भीतर का जब ईंधन
चुक जायेगा
हम ही मोटर दौड़ायेंगे और
विमान उड़ायेंगे ...
कोई फ़रियाद
नहीं है जीवन रण में ....
हम बचे रहेंगे हर मुश्किल क्षण में
फूलों में सर्वहारा हैं ..
किन्तु किसी से हारे नहीं हैं
किन्तु किसी से हारे नहीं हैं
हम फूल हैं भटकटैया के
....|
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