3.20.2012

मामा की साइकल


                                        मामा की साइकल


मामा के रिटायरमेंट पर भी रिटायर नही हुई, मामा की साइकल
जैसे तन और छाया, रूप और माया|
धूप- बारिश ,बरखी- बियाह 
हर मौसम हर मोड़ पर , दोनों  रोये  एक दूसरे पर  
पर नहीं छोड़ा एकदुसरे का साथ |  
सन् 69 में नाना ने पिनसिन से खरीदा था इसे
 सन्78 की बाढ़ में बूढ़ी माँ को कंबल और बर्तन के साथ  इसी पर बिठाकर पार उतरे थे मामा..|
सन् 88 में भाई के साथ बटवारें में पोखरी के बदले यही आयी थी मामा के हिस्से
अब सन् 2007 में भी 
धरोहर की तरह इसे बचाये हुए हैं मामा  |
जब नही लगा  था टोल टेक्स बेरियर 
नही बिछी थी मलेसिया की सड़क 
मेक्सिको से नही आया था गेहूँ गाजर घास के साथ
साइकल दिखती थी साइकल की तरह, चलती भी थी साइकल की तरह |
फिर गांव तक आने लगी मोटर
पड़ोसी नेता के घर  गया स्कूटर
रामानन्दी राम  टीवी  पर सवार पहुँच गये घर घर 
मामा की हिलने लगी गर्दन ,
साइकल की झुक गयी कमर |
पेडिल में ठूंस गयी लकड़ी की मूठ ..सीट में बँध गया तौलिया  |
पर कम्बखत साइकल थी की फिर भी चलती रही 
हालाँकि कहने वाले कहते रहे 
कि ज़िंदगी की तरह साइकल भी घसीटताता है ‘लल्ली’..|
अब जब सरकार बाँट रही है मुफ़्त फोन
पंचायत में  लग गया  है कंप्यूटर...
दिल्ली की  सेज़ पर बिछे हैं अमेरिकी डॉलर...
मामा के चहरे पर चढ़ रही है झुर्रियाँ और 
साइकल में पड़ रहे हैं गेटर पर गेटर |
मानो दोनों का शाश्वत हो गया है पतझड़ |
आज जब लोग मूड के हिसाब से बदलते हैं गाड़ियाँ 
मामा साइकल की मरम्मत  के लिये माँगते हैं उधार ..
महाशय .यदि आप बैंक से आसान शर्तों पर दिला सकें लोन 
तो साइकल पर करते हुये अपनी बाकी ज़िंदगी का सफ़र
मामा जुटा सकेगें अपनी जवान लड़की के लिये एक अदद वर..|
बहरहाल अभी तो लगा है सट्टा इस बात पर
कौन होगा विदा पहले
मामा या मामा की साइकल 
                                           हनुमंत

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