4.11.2022

लाल गुड़हल

 लाल गुड़हल 

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इसके पहले की
उम्मीदें मुझसे मुंह फेर लें
मेरे सिरहाने
लाल गुड़हल रख दो..
कि उससे उधार लेकर रंग
मल दूं अपने सपनों के मलिन होते मुख पर
उससे विनती करूं
अपने पुंकेसर की धुरी में
गूंथ ले मेरे भी बिखरते प्राण
सिखा दे मुझे भी
उदास मौसम में छेड़ना
खुशी का तराना
अभावों में भी रच देना
भाव का बसंत
इसके पहले
कि मैं अनंत कालिमा में बदल जाऊं
मेरे सिरहाने लाल गुड़हल रख दो ..
कि बना रहे रंग राग का सम्मोहन
लौटता रहे पृथ्वी पर बार बार जीवन
।। हनुमंत ।।

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