1.01.2017

मशाल और गर्भ पात और बेडनी


१) मशाल
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जब तलक 
पानी की तरह 
पतला था अँधेरा
मेरी भी लौ
मद्धिम थी
जब
अँधेरा
तेल की तरह
गाढ़ा हो गया
मै भी
मशाल की तरह
भभक उठा ||


२)
गर्भ-पात 
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खतरनाक बताकर 
मेरे विचारों का 
गर्भ -पात करा दिया गया |
इससे फैले संक्रमण ने
मुझे
हमेशा के लिए
बाँझ बना दिया |
अब
जब
दूसरों के सामने आना होता है
सर के भीतर
कुछ विचार छुपा लेता हूं
जैसे
धोखा देने की गरज से
बाँझ औरत
पेट के ऊपर
तकिया बाँध लेती है ||


३)बेडनी
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१)
तुम्हारे पास ज़मीन थी
तुम्हारे पास जाति थी
हम
बेडनी थी
हमारे पास सिर्फ देह थी |
तुम्हारे घर के मर्द
अपनी चूती लार से
इस देह को गूंथते रहे |
पेट की आग बुझाने के लिए
हम
अपनी ही देह के तंदूर में
रोटी सेकती रहीं ....
सुनो गृहस्थन
हम तुम्हारे घरों की
छूत की बीमारियों को
अपने भीतर समेट कर रखती हैं |
तुम जो शंकर पूजती हो
उसने तो एक बार गरल पिया था
हम तो रोज गरल पीती हैं
जिसे तुम दुत्कार रही हो |
जाओ बिटिया
जाओ अम्मा
जाओ बहिनी
सदा सुहागन बनी रहो....
बदले में बस
हमें भी आदम ज़ात समझो |||
२)
सुनो देवियों
अपने देवताओं संभाल कर रखो
हम जन्मी तो गंगा थी
तुम्हारे देवताओं ने
हमें गटर बना दिया ||

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