5.06.2012

बचपन का नाम


             बचपन का नाम

बीच बाज़ार किसी ने पुकारा मुझे
मेरे बचपन के नाम से
और मिल गया मुझे मेरा बचपन
जैसे रद्दीवाले की फुटपाथिया दुकान से
बरामद हो जाये खोई हुई डायरी |
धीरे से बाज़ार बदल गया
मोहल्ले के मैदान में
भागते अजनबी चेहरों में दिखे
छुटपन के छूटे हुए साथी |
बीस साल पहले
जब छूट गया था बचपन का नाम
नाम के साथ छूट गया था बचपन भी |
हम बड़े होते हैं नामों के साथ |
बड़े नाम के साथ मैं भी हुआ बड़ा
और पुरखों के साथ धीरे धीरे
दर्ज होने लगा इतिहास में |
बारहा चाहा कि
कपड़ों की तरह नाम को भी उतार कर
टांग दूँ किसी खूँटी पर
निर्वसन होकर लगा दूँ
किसी नदी में छलाँग
मगर कपड़ा नहीं
खाल होता है नाम |
नाम ही होता है जवान
नाम को ही आता है बुढ़ापा
नाम  को ही आती है मौत
नाम ही ने खायी होती है अमरौती
तब नाम को नहीं मार पाती है मौत |
लीजिये  बातों ही बातों में
कुछ देर ठहकर फिसल गया बचपन का नाम
नाम के साथ फिसल गया बचपन भी |
बाज़ार फिर लौट आया मैदानों में
गुम हो गये साथियों के चेहरे
भागते हुए अज़नबी चेहरों में |
 दोस्त गर होऊं कभी उदास
और खले तुम्हें मेरी उदासी
तो मुझे फिर पुकारना
मेरे बचपन के नाम से |
                          हनुमंत

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