बचपन का नाम
बीच बाज़ार किसी
ने पुकारा मुझे
मेरे बचपन के
नाम से
और मिल गया मुझे
मेरा बचपन
जैसे रद्दीवाले
की फुटपाथिया दुकान से
बरामद हो जाये
खोई हुई डायरी |
धीरे से बाज़ार
बदल गया
मोहल्ले के
मैदान में
भागते अजनबी
चेहरों में दिखे
छुटपन के छूटे
हुए साथी |
जब छूट गया था
बचपन का नाम
नाम के साथ छूट
गया था बचपन भी |
हम बड़े होते हैं
नामों के साथ |
बड़े नाम के साथ
मैं भी हुआ बड़ा
और पुरखों के
साथ धीरे धीरे
दर्ज होने लगा
इतिहास में |
बारहा चाहा कि
कपड़ों की तरह
नाम को भी उतार कर
टांग दूँ किसी
खूँटी पर
निर्वसन होकर
लगा दूँ
किसी नदी में
छलाँग
मगर कपड़ा नहीं
खाल होता है नाम
|
नाम ही होता है
जवान
नाम को ही आती है मौत
नाम ही ने खायी
होती है अमरौती
तब नाम को नहीं
मार पाती है मौत |
लीजिये बातों ही बातों में
कुछ देर ठहकर फिसल
गया बचपन का नाम
नाम के साथ फिसल
गया बचपन भी |
बाज़ार फिर लौट
आया मैदानों में
गुम हो गये
साथियों के चेहरे
भागते हुए अज़नबी
चेहरों में |
दोस्त गर होऊं कभी उदास
और खले तुम्हें
मेरी उदासी
तो मुझे फिर
पुकारना
मेरे बचपन के
नाम से |
हनुमंत
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