12.30.2016

जानकी पटेल (janaki patel): वो इन दिनों

वो इन दिनों 
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तुम उसे पहचान नहीं सकते 
तुम्हे अपनी जानकी पटेल याद है ?
हाँ बोलने में हकलाती
चलने में शरमाती
 वो लटके कंधो
झुकी निगाहों
लदर-फदर कपड़ो वाली
अपनी जानकी पटेल ...
वो जो
अंगुलियों के गुलेल में
सूरज को फंसाकर तान रही है
फुटबाल की तरह
पहाड़ो को पांवो से
उछाल रही है
सितारे तोड़कर
धरती पर दानो की तरह छींट रही है
समुद्र की तरह मचलती
और मलयानलि की तरह
दिक् दिगंत को जगाती
वो जो इधर चली आ रही है
वो वही जानकी पटेल है ..
जानकी पटेल इन दिनों प्रेम में है
और प्रेम बदल देता है
जैसे उसने बदल दिया
जानकी को.... ||हनु ||

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