1.01.2017

असफल और राजा जी

जब 
तुम 
असफल थे 
तुम धूल थे |
जब 
तुम
सफल हुए
तुम
कीचड़ हो गये ||


राजा जी 
+++++++

राजा जी आओ 
आसन जमाओ 
गलुआ बजाओ 
छतिया फुलाओ
बतिया बनाओ
चहवा पिलाओ
सपना दिखाओ
और दुई से
दुई सौ सत्तर हुई जाओ |
%%%%%%%%%
राजा जी जाओ
विदेश घूम आओ
गोरन को रिझाओ
गीता पढाओ
बाजा बजाओ
झाडू लगाओ
योगा कराओ
इन्वेस्टर पटाओ
टूरिस्टन को लाओ
काला धन वापस
मत लाओ मत लाओ
दाउद और लखवी
मत लाओ मत लाओ
लेकिन राजा जी
अब घर लौट आओ
%%%%%%%%%%%%%%
राजा जी सो रहो
हम सवा अरब
पाँव दबायेंगे ,
रोटी-लंगोटी
जुबा पे ना लायेंगे |
राजा जी
आपकी नीद
देश की धरोहर है |
देश की धरोहर के साथ
गद्दारी बर्दाश्त नहीं होगी
पत्रकार हो या साहित्यकार
चिंतक और कलाकार
ची से चूं भी की तो
सैनिक स्वयम सेवक सेवा में खड़े है ||

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