साथी ,
जिस उमर में तुम हमारे लिए फंदा चूम रहे थे...
उस उमर में हम डेनिम जींस के लिये चौखट चूम रहे थे ...
लेकिन उससे भी बड़ा पछतावा यह है कि
हमने तुम्हारी शहादत को ‘पतुरिया’ बना दिया ..|
चूहों ने तुम्हारे नाम से ‘बिल’ खोद डाले ...
खेत ,खलिहान, नदी , जंगल , मैदान
सब खंखोल कर बेशर्मी का स्वर्ग बना डाला...
और स्वर्ग की चाभी को तिलस्मी खोह में छुपा दिया |
साथी ,
उस चाभी तक पहुँचने के लिये हम बारहा
तुम्हारी आत्मा को बूटों से रौंदते हैं |
तुम्हारा नाम लेने पर आज भी निगरानी खुल जाती है |
....सुनो इसके पहले कि
हमारी जवानी शर्म से गल जाये
अपने हिस्से की थोड़ी अंगड़ाई हमें भी दे दो
कि हम कम अस कम करवट तो बदल लें ||||
जिस उमर में तुम हमारे लिए फंदा चूम रहे थे...
उस उमर में हम डेनिम जींस के लिये चौखट चूम रहे थे ...
लेकिन उससे भी बड़ा पछतावा यह है कि
हमने तुम्हारी शहादत को ‘पतुरिया’ बना दिया ..|
चूहों ने तुम्हारे नाम से ‘बिल’ खोद डाले ...
खेत ,खलिहान, नदी , जंगल , मैदान
सब खंखोल कर बेशर्मी का स्वर्ग बना डाला...
और स्वर्ग की चाभी को तिलस्मी खोह में छुपा दिया |
साथी ,
उस चाभी तक पहुँचने के लिये हम बारहा
तुम्हारी आत्मा को बूटों से रौंदते हैं |
तुम्हारा नाम लेने पर आज भी निगरानी खुल जाती है |
....सुनो इसके पहले कि
हमारी जवानी शर्म से गल जाये
अपने हिस्से की थोड़ी अंगड़ाई हमें भी दे दो
कि हम कम अस कम करवट तो बदल लें ||||
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