3.31.2013

मूर्ख

 ( मूर्ख दिवस पर शुभकामनाओं के साथ )
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हे ईश्वर ,
मुझे मूर्ख ही रहने दो
मै सदा तुम्हारे साथ स्वर्ग में रहना चाहता हूँ ..|
ठठाकर हँसना चाहता हूँ ..
मारधाड़, बलात्कार ,बेईमानी के बीच |
अभी कुछ दिन और आँखे मीचकर चलना चाहता हूँ
अभी कुछ दिन और नहीं सुनना चाहता भविष्य की चेतावनियाँ |
अभी कुछ दिन और जीने दो इस उम्मीद में ,
कि बचा रह जायेगा मेरा घर पड़ौसी के घर के जलने के बाद भी |
कबीर की तरह जागकर रोने से अच्छा है सोते हुए हँसना...|
हे ईश्वर
बुद्धि नाम की वस्तु मेरे दुश्मनों के लिए बचाकर रखो
मुझे सिर्फ सट्टे का नम्बर बता दो ...
मै जन्म भर शेयर बाज़ार के सांड का गोबर बना रहना चाहता हूँ ||||


 (२)
सच तो यह है
कि दुनिया को  खतरा
मूर्खो से नहीं
धूर्तो  से है ...
मूर्ख भूसा हैं ,
और धूर्त अँगारे...
सोचिये ,कितना धूर्त समय है
जब कवि और मूर्ख पर्यायवाची हो चले हैं |||

 ( चित्र : सेसिल कोल्लिंस  साभार )



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