5.26.2013

वे लौटेंगे// हार

वे लौटेंगे


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पोखर में पानी नहीं रहा
तो ऐसा नहीं कि मछलियाँ नहीं रहीं |
पेड़ में पत्ते नहीं बचे
तो ऐसा नहीं कि परिंदे नहीं बचे |
तुमने जो बस्तियाँ उजाड़ दी
तो लोग उजड़े ज़रूर , मगर खत्म नहीं हुये |
कल बारिश के साथ
मछलियाँ लौट आयेंगी                                                             
पत्ते लौट आयेंगे
परिंदे लौट आयेंगे
...और वे भी जिन्हें उजाड़ दिया गया था |
पर इस बार वे टिड्डी दल की शक्ल में लौटेंगे
सब कुछ चट करते हुये ||
आज  तुमने जिनके साथ न्याय नहीं किया
कल उनसे भी न्याय की उम्मीद मत करना ||||

हार
अंतत: मै जीतकर भी हार गया |
मै जिनके खिलाफ था ,
उनसे लड़ते लड़ते

अंत में उन्ही के जैसे हो गया ||||
( चित्र: गूगल साभार )

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