वो मै हूँ
*********
जो कुरुक्षेत्र के बीचोबीच खड़ा है
निसंग ,निशस्त्र .निशब्द ,नत शीश
वो मै हूँ ...
दोनों तरफ अश्वारोही सशस्त्र सेनायें हैं
वे घोषणा करती हैं कि वे जिसके लिये युद्धरत हैं
वो मै हूँ ...
विजय के लिये उनके अश्व
जिसको निरंतर रौंदते हुए दौड़ रहे हैं
वो मै हूँ .... वो मै ही हूँ ...|||
बहस
******
‘ हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है ’ उसने कहा
“ पर ये तो भौतिक जगत का नियम है ” मैंने कहा
‘ तो मनुष्य भी तो भौतिक पदार्थ से ही बना है ’ वो मुस्कुराया
“ बना नहीं है विकसित हुआ है ” मैंने उसे सुधारा
‘ इससे क्या फर्क पड़ता है?’ अब वो झल्ला गया
“ पड़ता है ...क्योंकि तब मनुष्य के लिये नियम नहीं मूल्य महत्वपूर्ण होते हैं” मैंने बात साफ़ की
“ये सब बौद्धिक विलास है” उसने बहस खत्म करनी चाही
‘मार्क्सवाद नियम है या मूल्य ??’ मैंने अतिम सवाल किया
वो सवाल आज भी ज्यों का त्यों उसी टेबल पर ऊँघ रहा है |||||
लहरें
**********
लहरें सोचती हैं
कि वे मचलती है ..उठती हैं ..दौड़ती हैं ..
नादान हैं ...नहीं जानती
ये हवा है जो मचलती है ..दौड़ती है ..
लहरों के हिस्से में तो एक चट्टान है
जिसपर उन्हें सिर पटकना है
और बिखर जाना है ...
बि..ख..र... बि..ख..र...
जाना है ||||
No comments:
Post a Comment