7.19.2013

बारिश/सुबह /शाम


बारिश (१)
बारिश में 
एक भंवर पानी में पड़ा 
और कुछ नहीं बचा सिवाय पानी के |
बारिश में 
एक भंवर मन में पड़ा 
और सब कुछ बचा रहा सिवाय मन के |||| 
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बारिश ( २ )

बादल और बारिश के बीच
उतना ही फासला है
जितना आँख और आँसू के बीच
जो अभागे बादल
बरस नही पाते
वे फट जाते हैं
जो अभागी आँखे
बरस नहीं पाती
वे फूट जाती हैं ......||||

बारिश (३)
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आज बारिश की बौछारों ने खूब भिगाया ....
तन क्या मन तक धुल गया ....
फिर अचानक ख्याल आया कितने बरस हुये किसी के साथ साथ भीगना नहीं हुआ ..
बड़ी सी जिंदगी में ..
कितनी छोटी छोटी हसरतें
पूरी होने के इंतज़ार में बूढी हो जाती हैं |||

सुबह 
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रात भर बारिश के बाद 
सुबह चटख धूप का खुल कर बिखरना 
जैसे रात भर किसी की याद में भीगने के बाद 
आँख खुलने पर... 
उसे बालकनी में बाल सुखाते हुये देखना 

शाम 
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शाम क्या है ...
एक काजल का ढीठोना है बच्चे के माथे पर ...
या थकान की फैली चादर जो डूबता सूरज अपने पीछे छोड़े जा रहा है ..
बूढ़े जोड़े के बीच एक दर्द है करवट लेता हुआ ... 
शाम किसी का ख़त है
मैंने सिरहाने दबा कर रखा है कई बरसो से 
और इस डर से आज तक नहीं खोला है 
कि उम्मीद का टूटना जिंदगी का टूटना है ....|||

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