7.19.2013

अथ ईश्वर उवाच

अथ ईश्वर उवाच 
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मै ईश्वर हूँ 
अपने भक्तों के नरमुंडों के बीच 
हर प्रलय के बाद बचा लिया गया |
आस्था की बैशाखियों के ऊपर 
कारोबार की जंजीरों से जकड़ा
आदिकाल से अविचल, अखंडित ,अजस्र खड़ा
मै ईश्वर हूँ ......|
मै तो शुरू से कह रहा था
मुक्ति का मार्ग मुझसे नहीं ,तुमसे होकर जाता है ...
स्वर्ग कहीं बाहर नहीं
तुम्हारे भीतर है / तुम्हारे ही भीतर है |
मगर मेरी हर पुकार
गाढ़े अँधेरे के उस घिनौने साम्राज्य में खो गयी ,
जिसे मैंने नहीं मेरे एजेंटों ने रचा है |
वे मुक्ति का चोला पहने मौत के सौदागर हैं ,
वे मीडिया हैं , नेता हैं , पुजारी हैं ,पूंजीपति हैं |
मै जब भी मासूम जिंदगियों की मौत का मातम मनाता हूँ ,
वे कीर्तन की आवाज़ बढ़ा देते हैं |
मै एक निष्क्रिय विचार मात्र हूँ
शक्ति मान मस्तिष्क से जन्मी एक निशक्त निर्जीव छाया |
हे मुक्ति के आकांक्षी मनुष्यों
प्रकृति और पुरुषार्थ के ,
सनातन द्वन्दात्मक साहचर्य को पहचानो |
पाश भी तुम्हारे अपने बनाये हैं
मुक्ति की राह भी तुम सबको मिलकर बनानी है
और अपने साथ तुम्हे मुझे भी मुक्त करना है |||

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