7.19.2013

कंधा //नदी

कंधा
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दोस्त ,
मेरा कंधा बहुत कमज़ोर है
ये मुसीबत का बोझ भले उठा ले
तुम्हारे एहसान के बोझ तले दब जायेगा |
मुझे ये भी पसंद नहीं होगा कि 
तुम इस पर रख कर अपनी बन्दूक चलाओ ...
हाँ कभी चाहो तो 
इस पर सर रखकर रो सकते हो ....
लेकिन आँखे पोछने के बाद इसे सुखाना मत भूलना ..
आंसुओ से भीगा कंधा ...
सूरज की धूप में नहीं सूखता..|||

..नदी ..
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तुम्हारा बच्चा ..
आज तुमसे मिलने
हुलसकर गया ..|
और तुममें डूबने लायक 
चुल्लू भर पानी भी नहीं पाकर 
तुम्हे देखते ही डूब मरा |
माँ ..
तुममे लोग अपनी गंदगी बहा रहे थे 
और कह रहे थे कि 
वे पवित्र नदी की पूजा कर रहे हैं ||||

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