4.25.2014

तीन प्रलाप .....

तीन प्रलाप .....
१)
मै वो लापता विमान हूँ 
जिसे तुम पृथ्वी पर खोजते हो 
शायद तुम नहीं जानते ...
मै लापता ही इसलिए हुआ था 
कि पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से मुक्त हो गया था |||||

२)
“क्या तुम पाप मुक्त नहीं होना चाहोगे ?
“नहीं ...’
“मगर क्यों ...??”
‘मै अभी कुछ दिन और मनुष्य बने रहना चाहता हूँ ||||’

३)
अब खुद से बात करने का समय हो चला है
उठो ...ज़रा बत्तियाँ बुझा दो ..
अंधेरा ज्यों-ज्यों गहराता जायेगा
तस्वीरें, त्यों-त्यों साफ़ होती जायेंगी ||||

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