4.25.2014

तीन कवितायें

(१)
पहले उसने उनके सिर सूंघे 
फिर उनके सिर को हलके से सहलाया |
“ कितने दयालु हैं सरकार ...”
वे भाव विभोर होकर बोले ...
वे नहीं जानते थे या शायद भूल गए थे 
भेड़िये इसी तरह सिर सूंघते है ..
सिर सहलाते हैं
सिर चबाने से पहले ......|||

(२)
आंदोलन आंदोलन आंदोलन आंदोलन ....
दोलन दोलन दोलन दोलन दोलन दोलन ....
लन लन लन लन लन लन लन लन ....
न न न न न न न न न न न न न न...
और इस तरह
क्रिया
अनर्गल बहस में
अनर्गलबहस उत्तेजना में
और उत्तेजना ....
अराजकता में बदल गयी |||||

(३)
वे नासमझ थे
जो घरों से निकले
और कंधो पर झंडे उठाये
सड़क पर मर गये |
ये समझदार थे
इन्होने उन झंडो से
जूते चमकाये
उनकी जेबों से चाभियाँ निकाली
और उनके घर गये || 

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