मै दो हज़ार साल पहले यूनान में पैदा नहीं हुआ
मैने दो सौ साल पहले के अमेरिकी अश्वेत नहीं देखे
मुझे सौ साल पहले के हिन्दुस्तानी दलित का भी अनुभव नहीं है
लेकिन मैंने अपने घरों की शादीशुदा औरतों को देखा है
क्या मुझे कोई बतायेगा ,
ग़ुलाम और किस तरह के होते हैं ???
++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++
आज के दिन भी ‘ वे’ पौ फटने के पहले उठीं
बच्चों को स्कूल के लिए तैयार किया
पति को बिस्तर पर चाय दी
और सब काम निपटाकर काम पर निकल गयीं
फिर काम से लौटी और काम पर लग गयीं |
आज के दिन भी ‘वे’ कोचिंग से आकर सीधे किचन में घुसीं
उधर भइया सौफे पर किताबे फेककर दोस्तों से मिलने निकल गया |
आज भी ‘वे’ आफिस, स्कूल, बाज़ार में अजीब तरह से घूरी गयीं
और निगाह बचाकर तेज़ी से निकल गयी |
आज के दिन भी वे दान की वस्तु समझा गयीं
और खानदान के सम्मान के लिये तहखाने में डाल दी गयीं |
आज के दिन भी उनका गर्भ में ही आखेट किया गया |
आज के दिन भी उन्होंने पति की झूठी थाली में ‘पुण्य’ की तरह खाया
और पति की लात को 'प्रसाद' समझकर चुप हो गयीं |
जब कभी आवाज़ उठी ,
उनकी बेड़ियों को खोलकर
उनके गले में हार की तरह डाला गया
और वे चौराहों पर स्थापित कर दी गयीं |
इस अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की चुसनी की जगह ,
संतरे की गोली दे दो
कम से कम स्वाद तो बदल जायेगा |||
मैने दो सौ साल पहले के अमेरिकी अश्वेत नहीं देखे
मुझे सौ साल पहले के हिन्दुस्तानी दलित का भी अनुभव नहीं है
लेकिन मैंने अपने घरों की शादीशुदा औरतों को देखा है
क्या मुझे कोई बतायेगा ,
ग़ुलाम और किस तरह के होते हैं ???
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आज के दिन भी ‘ वे’ पौ फटने के पहले उठीं
बच्चों को स्कूल के लिए तैयार किया
पति को बिस्तर पर चाय दी
और सब काम निपटाकर काम पर निकल गयीं
फिर काम से लौटी और काम पर लग गयीं |
आज के दिन भी ‘वे’ कोचिंग से आकर सीधे किचन में घुसीं
उधर भइया सौफे पर किताबे फेककर दोस्तों से मिलने निकल गया |
आज भी ‘वे’ आफिस, स्कूल, बाज़ार में अजीब तरह से घूरी गयीं
और निगाह बचाकर तेज़ी से निकल गयी |
आज के दिन भी वे दान की वस्तु समझा गयीं
और खानदान के सम्मान के लिये तहखाने में डाल दी गयीं |
आज के दिन भी उनका गर्भ में ही आखेट किया गया |
आज के दिन भी उन्होंने पति की झूठी थाली में ‘पुण्य’ की तरह खाया
और पति की लात को 'प्रसाद' समझकर चुप हो गयीं |
जब कभी आवाज़ उठी ,
उनकी बेड़ियों को खोलकर
उनके गले में हार की तरह डाला गया
और वे चौराहों पर स्थापित कर दी गयीं |
इस अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की चुसनी की जगह ,
संतरे की गोली दे दो
कम से कम स्वाद तो बदल जायेगा |||
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